2024 में कब होगा दिवाली का शुभ मुहूर्त पूजा समय, जानिए विस्तार से

हर वर्ष भारतवर्ष में दिवाली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. प्रतिवर्ष यह कार्तिक माह की अमावस्या को मनाई जाती है. रावण से दस दिन के युद्ध के बाद श्रीराम जी जब अयोध्या वापिस आते हैं तब उस दिन कार्तिक माह की अमावस्या थी, उस दिन घर-घर में दिए जलाए गए थे तब से इस त्योहार को दीवाली के रुप में मनाया जाने लगा और समय के साथ और भी बहुत सी बातें इस त्यौहार के साथ जुड़ती चली गई.

दिवाली पूजा का मुहूर्त | Diwali Pooja Muhurt

इस वर्ष कार्तिक अमावस्या का संयोग दो दिन हो रहा है. 01 नवंबर को शुक्रवार के दिन शाम को  अमावस्या का समय होगा. इसलिए 01 नवंबर 2024 को ही दीपावली पूजन किया जाना संपन्न होगा.

दिवाली के दिन लक्ष्मी का पूजा का विशेष महत्व माना गया है, इसलिए यदि इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजा की जाए तब लक्ष्मी व्यक्ति के पास ही निवास करती है. “ब्रह्मपुराण” के अनुसार आधी रात तक रहने वाली अमावस्या तिथि ही महालक्ष्मी पूजन के लिए श्रेष्ठ होती है. यदि अमावस्या आधी रात तक नहीं होती है तब प्रदोष व्यापिनी तिथि लेनी चाहिए. लक्ष्मी पूजा व दीप दानादि के लिए प्रदोषकाल ही विशेष शुभ माने गए हैं.

प्रदोष काल | Pradosh Kaal

01 नवम्बर 2024, शुक्रवार के दिन दिल्ली तथा आसपास के इलाकों में 17:27 से 20:09 तक प्रदोष काल रहेगा. इसे प्रदोष काल का समय कहा जाता है. प्रदोष काल समय को दिपावली पूजन के लिये शुभ मुहूर्त के रुप में प्रयोग किया जाता है. प्रदोष काल में भी स्थिर लग्न समय सबसे उतम रहता है. इस दिन मेष लग्न होगा उसके पश्चात वृष लग्न रहेगा. प्रदोष काल व स्थिर लग्न दोनों रहने से मुहुर्त शुभ रहेगा.

इस वर्ष अमावस्या तिथि शुक्रवार के दिन व्याप्त रहेगी और शाम 18:17 तक व्याप्त होगी.  .

निशीथ काल | Nishith Kaal

निशिथ काल में स्थानीय प्रदेश समय के अनुसार इस समय में कुछ मिनट का अन्तर हो सकता है. 01 नवंबर 2024 में निशिथ काल के लिए 20:09 से 22:51 तक का समय होगा. ऎसे में व्यापारियों वर्ग के लिये लक्ष्मी पूजन के लिये इस समय की अनुकूलता रहेगी.

महानिशीथ काल | Maha Nishith Kaal

धन लक्ष्मी का आहवाहन एवं पूजन, गल्ले की पूजा तथा हवन इत्यादि कार्य सम्पूर्ण कर लेना चाहिए. इसके अतिरिक्त समय का प्रयोग श्री महालक्ष्मी पूजन, महाकाली पूजन, लेखनी, कुबेर पूजन, अन्य मंन्त्रों का जपानुष्ठान करना चाहिए.

रात में 22:51 से 25:33 तक महानिशीथ काल रहेगा. इस समय पूजा के लिए कर्क लग्न और सिंह लग्न होना शुभस्थ होता है. इसलिए चौघडियों को भुलाकर यदि कोई कार्य प्रदोष काल अथवा निशिथकल में शुरु करके इस महानिशीथ काल में संपन्न हो रहा हो तो भी वह अनुकूल ही माना जाता है. महानिशिथ काल में पूजा समय चर लग्न में कर्क लग्न उसके बाद स्थिर लग्न सिंह लग्न भी हों, तो विशेष शुभ माना जाता है. महानिशीथ काल में कर्क लग्न और सिंह लग्न होने के कारण यह समय शुभ हो गया है. जो शास्त्रों के अनुसार दिपावली पूजन करना चाहते हो, वह इस समयावधि को पूजा के लिये प्रयोग कर सकते हैं.

Leave a Reply

Shopping cart

0
image/svg+xml

No products in the cart.

Continue Shopping